'अच्छा तो हम चलते हैं': जानिये, इस मशहूर गीत के पीछे की कहानी
Background story of song, achha to hum chlte hain
चंडीगढ़ : 10 मई, 2023 : (कार्तिका सिंह/अर्थ प्रकाश) :: जानिये, इस मशहूर गीत के पीछे की कहानी
क्या आप वो मशरूर फ़िल्मी गाना 'अच्छा तो हम चलते हैं', सुना है? अरे वही, जिसे हर बार बाय या अलविदा कहने की जगह आप ने भी गुनगुनाया होगा। जिस के बोल शायद एक इंसान के मुँह से निकलें, लेकिन उस वक़्त उस जगह आपके साथ मौजूद व्यक्ति गाये बिना रह नहीं पायेगा।
इस गाने के पीछे कहानी भी ऐसी ही दिलचस्प है। आप इस से तो अबगत ही होंगे कि हिंदी म्यूजिक इंडस्ट्री में गाने के बोलों से पहले उसकी धुन बनाई जाती है, और फिर उस धुन पर गाने के बोल लिखे जाते हैं।
तो इस गीत के गीतकार, आनंद बक्शी साहब, इस फिल्म के 'आन मिलो सजना' एवं हिंदी फ़िल्मी जगत के म्यूजिक डायरेक्टर्स की मशरूर जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ बैठे अपने दिमाग पर ज़ोर डाल रहे थे कि अब इस धुन पर क्या लिखा जाये। सोचते हुए शाम ढलने लगी, और लक्ष्मीकांत जी ने कहा कि, "भई!, अब बहुत हुआ, अच्छा तो हम चलते हैं", सरसरी सी बात में आनंद साहेब ने जवाब में पूछा, फिर कब मिलोगे, उधर से जवाब आया, जब तुम कहोगे........
इतने में न जाने आनंद साहब के दिमाग में क्या आया, उन्होंने लक्समिकान्त जी को रोकते हुए बैठने के लिए कहा।
लक्समिकान्त जी मना करने लगे कि, नहीं अब क्या, तो उन्होंने कहा कि, गाना तो बन गया।
"अच्छा तो हम चलते हैं,
फिर कब मिलोगे,
जब तुम कहोगे,
जुम्मे रात को,
हाँ हाँ आधी रात को।"
इस गीत के बोल लिखे हैं, आनंद बक्शी साहेब ने और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की म्यूजिक कम्पोजीशन के साथ ही आवाज़ दी है, मशरूर स्वर कोकिला, लता मंगेशकर जी के साथ किशोर दा ने।
आप सुनिए और मज़ा लीजिये इस गीत का।
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